भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा महिलाओं के साथ किया गया बलात्कार


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भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भरपूर भागीदारी थी। उन्‍होंने आंदोलन में न सिर्फ़ हिस्‍सा लिया बल्कि पुरुषों की बराबरी करते हुए इसका नेतृत्‍व भी संभाला। 9 अगस्‍त, 1942 को अरुणा आसफ़ अली ने बम्बई के गोवालिया टैंक मैदान में राष्‍ट्रीय झंडा फहराकर भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की। उषा मेहता ने मुंबई में कांग्रेस का गुप्‍त रेडियो स्‍टेशन शुरू किया और उस रेडियो स्टेशन का नाम ‘द वॉयस ऑफ़ फ़्रीडम’ रखा।

मातंगिनी हजारा ने बंगाल में तामलुक में 6000 लागों के जुलूस का नेतृत्‍व करते हुए, जिनमें से अधिकतर महिलाएं थीं, एक स्‍थानीय पुलिस थाने को तहस-नहस कर दिया। तिरंगा हाथ में लिए पुलिस की गोलियों से वह शहीद हुईं। इसी तरह सुचेता कृपलानी ने भी आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्‍सा लिया।

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अनेक महिलाएं पुलिस की गोली से शहीद भी हुई, जिनमें बिहार से 19 अगस्त को रामरतिया गोवालिन भागलपुर में अंग्रेज़ों के गोली का शिकार हुई, वहीं भोजपुर के सहार में अलकी देवी 15 सितम्बर को शहीद हुईं! इन सब के बीच बड़े पैमाने पर महिलाओं के साथ अंग्रेज़ी पुलिस द्वारा बलात्कार भी किया गया; बलात्कार का शिकार होने वालों में लड़कियां थी, शादीशुदा महिला थी, अधेड़ और बड़ी संख्या में बुढ़ी महिलाएं भी थी।

पटना ज़िला, बाढ़ थाने के रैली गांव में टॉमियों द्वारा कई स्त्रीयों का बलात्कार किया गया। सिलाव थाने की पुलिस ने राजगीर में कई स्त्रीयों का बलात्कार किया। 14 अगस्त को बख़्तियारपुर थाने के रवाइच गांव में पुलिस द्वारा दो महिलाओं का बलात्कार किया गया। इस्लमपुर थाने के हाजत में पड़े हुए लड़के के साथ कांस्टेबल और उसके एक अफ़सर ने मुंह काला किया। मनकौर में पुलिस ने एक गर्भवती महिला के साथ बलात्कार किया और उसके ज़ेवर छीन लिया। कटोरिया थाने के ढकवा गांव में अप्रैल 1943 में एक गर्भवती महिला का बलात्कार किया गया; जिसके फलस्वरुप उस महिला का गर्भस्राव हो गया। मधुबनी सब डिविज़न के लौकही थाने में वहां की पुलिस ने तो कई दिनो तक कई लड़कियों को ग़ायब रखा।

शाहबाद के नोखा थाना; मुज़फ़्फ़रपुर के सकरा थाना; मीनापुर थाना में गोरों द्वारा कई बलात्कार के घिनौने कारनामे को अंजाम दिया गया। अगस्त क्रांति में बलात्कार की असंख्य घटनाएं हुईं हैं, जिनमे से कुछ ही मामले सामने आ सकी; अधिकतर मामलों में पड़ित महिलाएं ख़ामोश ही रहीं।

दरभंगा ज़िले के समस्तीपुर सरकारी अस्पताल में एक बलात्कार पीड़िता लाई गई; उसने कहा – ‘लज्जावश नाम हम नै बताएब। हमरा घर में चारिगो गोरा सिपाही घुसि गेल। हमरा साथ बेराबेरी जुलुम कैलक, जैसे हम अचेत हो गेली। तब हमरा लोग सब अस्पताल में ले गेल।’


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Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.