ऐ पुलिस वालों सितम करना, सताना छोड़ दो…. भाइयों के हलक़ पर ख़ंजर चलाना छोड़ दो


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साल 1919 में रॉलेट एक्ट के विरोध में पुरे भारत में आंदोलन शुरू हुआ, पुलिस के हाथों हज़ारो लोग शहीद हुवे; विभिन्न धार्मिक संस्थाअों ने अंग्रज़ों के साथ किसी भी तरह के सहयोग को हराम क़रार दे दिया. जिसमे हर तरह की सरकारी नौकरी के बहिष्कार की बात की गई..

अंग्रेज़ों से सहयोग हराम है

1920 में नूर ने असहयोग और ख़िलाफ़त आंदोलन के समय एक नज़्म “ऐ पुलिस वालों सितम करना, सताना छोड़ दो; भाइयों के हलक़ पर ख़ंजर चलाना छोड़ दो” लिखी, जिसे अंग्रज़ों ने विद्रोही कविता मान कर बैन कर दिया.

ऐ पुलिस वालों सितम करना, सताना छोड़ दो
भाइयों के हलक़ पर ख़ंजर चलाना छोड़ दो

चार दिन की ज़िन्दगी है, चार दिन की नौकरी
चार दिन के वासते शादी रचाना छोड़ दो

सरकशी अच्छी नहीं है, मौत है सर पर खड़ी
सर कटा दो राहे हक़ में, सर उठाना छोड़ दो

किस की चोरी है, नहीं करते हो आँखें चार क्यों
क्या किसी के चोर हो, आँखें चुराना छोड़ दो

नौकरी बर्तानिया की हो चुकी शरअन हराम
माल जो खाना नहीं है, उसको खाना छोड़ दो

जिसने दी है जान, खाने को तुम्हें देगा वही
परवरिश की, बाल बच्चों का बहाना छोड़ दो

पेट में जब थे, बताओ किसने खाने को दिया
आज़मूदा बात को तुम आज़माना छोड़ दो

राज़िके मुतलक़ ख़ुदा है, उस पे रखो एतिमाद
सबको घर बैठे ही देगा, गर कमाना छोड़ दो

तुम मुसलमां हो कि हिन्दु, हो तो आख़िर हम वतन
हम वतन वालों का अपने दिल दुखाना छोड़ दो

जो तुम्हारा ख़ून है, वही हमारा ख़ून है
ख़ून बहा देना पड़ेगा, ख़ून बहाना छोड़ दो

एक दिन मरना है, जाना है ख़ुदा के सामने
क्या यह मुमकिन है, ख़ुदा को मुंह दिखाना छोड़ दो

ख़ुफ़िया वालो क्या तुम्हें खौफ़े ख़ुदा आता नहीं
झूठी सच्ची ख़बरें जा जाकर सुनाना छोड़ दो

हाय क्या क़ौमी हमीयत दिल से जाती ही रही
लीडराने क़ौम का वारंट लाना छोड़ दो

और कोई वक़्त फिर आएगा पछताओगे तुम
इससे पहले दुश्मनो का दोस्ताना छोड़ दो

गर मुसलमां हो, करो हुक्मे शरीअत पर अमल
दुश्मनाने दीन से मिलना मिलाना छोड़ दो

‘नूर’ यह सी आई डी वालों को समझाये कोई
तुम ख़ुदा के वास्ते जलसे में आना छोड़ दो


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Md Umar Ashraf

Md. Umar Ashraf is a Delhi based Researcher, who after pursuing a B.Tech (Civil Engineering) started heritagetimes.in to explore, and bring to the world, the less known historical accounts. Mr. Ashraf has been associated with the museums at Red Fort & National Library as a researcher. With a keen interest in Bihar and Muslim politics, Mr. Ashraf has brought out legacies of people like Hakim Kabeeruddin (in whose honour the government recently issued a stamp). Presently, he is pursuing a Masters from AJK Mass Communication Research Centre, JMI & manages heritagetimes.in.